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लेखनी प्रतियोगिता -02-Mar-2023

वो केवल हुक्म देता है, सिपहसालार जो ठहरा
मैं उसकी जंग लड़ता हूं, मैं बस हथियार जो ठहरा

दिखावे की ये हमदर्दी, तसल्ली, खोखले वादे
मुझे सब झेलने पड़ते हैं, मैं बेकार जो ठहरा
 

तू भागमभाग में इस दौर की शामिल हुई ही क्यों
मैं कैसे साथ दूं तेरा, मैं कम-रफ़्तार जो ठहरा 

मुहब्बत, दोस्ती, चाहत, वफ़ा, दिल और कविता से
मेरे इस दौर को परहेज़ है, बीमार जो ठहरा

 

घुटन लगती यूं, कमरे में इक दो खिड़कियां होतीं
मैं केवल सोच सकता हूं, किरायेदार जो ठहरा

उसे हर शख़्स को अपना बनाना ख़ूब आता है
मगर वो ख़ुद किसी का भी नहीं, हुशियार जो ठहरा

 

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6 Comments

Gunjan Kamal

04-Mar-2023 06:37 PM

सुंदर प्रस्तुति

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Renu

03-Mar-2023 10:02 PM

👍👍🌺

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बहुत खूब

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